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धीरेंद्र सिंह तो है गामा पाल का कातिल,पर इन लोगो पर जानलेवा हमला करने वाले कौन ? क्या इनको नही मिलना चाहिये इंसाफ ?

 


मधुसूदन सिंह

बलिया ।। 15 अक्टूबर 2020 को बैरिया तहसील के दुर्जनपुर में कोटे के दुकान के लिये हुई खुली बैठक के बाद जो कुछ भी हुआ वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई । एक ऐसे व्यक्ति गामा पाल की जान चली गयी जिसको न कोटे की दुकान से मतलब था, न किसी समूह से । इस हत्याकांड में पूर्व सैनिक धीरेंद्र प्रताप सिंह को हत्यारा नामजद किया गया है जो आजतक फरार है और प्रशासन ने 50 हजार का ईनाम भी घोषित कर दिया है । इस कांड के बाद चाहे जिला प्रशासन हो या देश के प्रमुख चैनल इसको हाथरस की तरह स्थानीय लोगो मे अपनी कार्यवाइयों और कवरेज के माध्यम से जातीय विद्वेष का बीजारोपण करने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे है । रही सही कसर राजनैतिक दल के नेता कर रहे है ।

अपने आप को जाति धर्म से ऊपर साबित करते हुए समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल मृतक गामा पाल के परिजनों से मिलकर ढांढस बढ़ाने के बाद अपने ही तथाकथित धर्म निरपेक्ष जाति निरपेक्ष सिद्धांतो को तिलांजलि देकर वापस लौटा है । इस बलवा कांड में जहां गामा पाल की हत्या हुई है तो वही आरोपी धीरेंद्र सिंह के घर के भी आधा दर्जन से अधिक लोगो को गंभीर चोटें आयी है जिसमे 4 तो महिलाएं ही है । दो लोगो का इलाज गंभीरावस्था में बीएचयू में चल रहा है जिसमे एक व्यक्ति की जान कब चली जाय कहा नही जा सकता है, आरोपी के पूरे घर को,सामानों को तोड़ दिया गया है,अलमारियां तोड़ कर सबकुछ गायब कर दिया गया है , बावजूद इन लोगो पर हमला करने वालो, घर को तोड़फोड़ और लूट करने वालो पर एफआईआर तीन दिन होने के बाद भी दर्ज क्यो नही हुआ है ?

हमारा सवाल जिला प्रशासन और सूबे के मुखिया योगी जी से है कि धीरेंद्र सिंह ने अगर गामा पाल की हत्या कर दी तो धीरेंद्र के परिवार की हत्या करने का प्रयास करने वाले बलवाइयों को ऐसा करने की छूट मिल गयी है क्या ? क्या इन लोगो के हमलावरों पर, घर मे तोड़फोड़ लूट करने वालो पर कानूनी कार्यवाही नही होनी चाहिये ? क्या इन लोगो का धीरेंद्र के कृत्य के कारण जीने का, न्याय पाने का अधिकार भी खत्म हो गया है ? इसका जबाब जिला प्रशासन को आज नही तो कल देना ही पड़ेगा क्योंकि देश मे अदालतों के माध्यम से न्याय आज भी जिंदा बचा हुआ है ।

समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी के प्रतिनिधिमंडलों से सवाल है कि अगर आप लोग सच्चे न्याय प्रिय है तो धीरेंद्र के घर भी जाकर घायलों से पूंछताछ कर लिये होते ,उनको भी न्याय दिलाने और हमलावरों पर कार्यवाही कराने का झूठा ही आश्वासन दे दिए होते तो आपकी वाहवाही ही होती बुराई नही ।

वही मेरा मीडिया के सभी साथियो से भी सवाल है कि आप ने गामा पाल के घर के हालात को दिखाया जरूरी था,एक निरपराध अपनी जान से हाथ धो बैठा,परिजनों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है लेकिन आप लोगो का हत्यारे धीरेंद्र सिंह के घर की निरपराध महिलाओ की चोटे नही दिखी, अस्पताल में भर्ती पुरुष नही दिखे, बीएचयू में जीवन मृत्यु के बीच झूल रहे दो परिजन आखिर क्यों नही दिखे ,क्या इनको दिखाना आपके पत्रकारिता धर्म के अंतर्गत नही आता है । एक भी चैनल ने जिला प्रशासन से सवाल किया कि इन घायलों की तरफ से मुकदमा कब दर्ज होगा ? क्या इनका संवैधानिक अधिकार धीरेंद्र सिंह द्वारा हत्या कर देने से समाप्त हो गया ? मीडिया के सभी साथियो से निवेदन है कि इन घायलों को देखिये और इनके भी हक़ अधिकार की आवाज बनिये ।